This Podcasts covers inexplicable messages of great saints - Sant Kabir, Mira by Swami Adgadanand.
Aasara ke ghiuwa
आसरा के घीउआ :- विरह भगवत्प्रेम को जगाये रखता है । उनसे मिलन की आशा ही प्रेम को जीवित रखता है । प्रभु के निरंतर स्मरण पर बल दे रहा है यह भजन ।
#Kabir #Mira #Sadhguru #Guru
21-8-2017 • 57 minuten, 46 seconden
Main banja bairagi
मन बनजा वैरागी :- सांसारिक वैभव और भोगों का त्याग किए बिना भगवत्प्राप्ति दुष्कर है । भोगों की नश्वरता का प्रतिपादन करने वाला प्रेरणादायक यह भजन ।
21-8-2017 • 56 minuten, 54 seconden
Swason ka kya bharosa
श्वासों का क्या भरोसा :- संतों ने प्रत्येक श्वास को हीरे से भी बहुमूल्य माना है । यह भगवान का अनमोल उपहार है इसे व्यर्थ नहीं गँवाना चाहिए । इसलिए प्रत्येक श्वास पर प्रभु का स्मरण होता रहे इसी प्रेरणा के साथ प्रस्तुत है यह भजन ।
#Kabir #Mira #Sadhguru #Guru
21-8-2017 • 52 minuten, 27 seconden
Alakh ke amal par charhe
अलख के अमल पर :- प्रभु प्रेम में निमग्न साधक को सांसारिक वैभव आकर्षित नहीं कर पाते । भजन की जागृति हो जाने के पश्चात साधक की मस्ती का संकेत देता हुआ यह भजन ।
#Kabir #Mira #Sadhgur #Guru
21-8-2017 • 1 uur, 4 minuten, 20 seconden
Sant ki jaat na poochh gawara
संत की जात न पूछ गँवारा :- ईश्वर पथ में जाति पाँति का भेद भाव नहीं चलता । जाति -पाँति और सम्प्रदाय का भेद रखने वाले समर्पण के साथ साधना में नहीं लग पाते । इसी दोष से सतर्क करता हुआ यह भजन ।
#Kabir #Mira #Sadhguru #Guru
21-8-2017 • 40 minuten, 10 seconden
Tera main didar diwana
तेरा मैं दीदार दीवाना :- पूज्य गुरु महाराज कहा करते हैं - कि जिस व्यक्ति के मन में भगवान के लिए विरह वैराग्य और तड़पन नहीं है उसके लिए भगवान भी नहीं है । इसी आशय का है संत मलूकदास जी का यह भजन ।
#Kabir #Mira #Sadhguru #Guru
21-8-2017 • 38 minuten, 8 seconden
Tora man darpan kahalaye
तोरा मन दरपन कहलाये :- मन ही मनुष्यों के बंधन और मोक्ष का कारण है । संकल्प - विकल्प का नाम मन है । मनुष्य जैसा संकल्प करता है वैसा ही हो जाता है, इसलिए सबको हमेशा शुभ संकल्प करना चाहिए । गीता में है कि वायु से भी तेज चलने वाला यह दुर्जय मन अभ्यास और वैराग्य द्वारा भली प्रकार वश में हो जाता है । मन की अपार क्षमताओं पर प्रकाश डालने वाला यह भजन प्रस्तुत है ।
#Kabir #Mira #Sadhguru #Guru
21-8-2017 • 49 minuten, 27 seconden
Chet karo baba
चेत करो बाबा - साधक को कहा गया है कि सदैव सचेतावस्था में रहकर भजन करें | माया की धार सर्वत्र है माया से सदैव डरना चाहिए | संत कबीर की वाण ी का ओज एवम् उसकी यथार्थ एवम् ओजपूर्ण व्याख्या करते परमहंस स्वामी श्री अड़गड़ानन्द जी महाराज ।
#Kabir #Mira #Sadhguru #Guru
21-8-2017 • 1 uur, 16 minuten, 18 seconden
Guru Vandana
Salutations to the Guru Maharaj - Param Pujya Swami Shri Paramhans Paramanand Ji Maharaj
#Sadhguru #Guru #Paramhans #Paramanand #Prayer
28-1-2017 • 8 minuten, 53 seconden
Barahmasi Bhajan
तानसेन महाराज के श्रीमुख से ‘‘बारहमासी’’ भजन - बारहमासी परम पूज्य परमहंस गुरु महाराज के श्रीमुख से ध्वनित साधनात्मक गायन है।
#Sadhguru #Paramhansa #Paramananda #Tansen
28-1-2017 • 20 minuten, 2 seconden
Naihar dag lagal mori chunari
‘‘नैहर दाग लगल मोरी चुनरी।’’ - चित्त ही चुनरिया हैं। जो चित्त की दैवी प्रवृत्ति भगवान् तक की दूरी तय कराती है, वह सद्गुरु द्वारा प्राप्त होती है। उस चित्त पर प्रभु का रंग चढ़ता जाता है, प्रभु की आभा उतरने लगती है, चाँद और सूर्य की ज्योति छिप जाती है। यह साधनापरक भजन है।
#Kabir #Mira #Sadhguru
28-1-2017 • 31 minuten, 45 seconden
Balam ravur desva mein
‘‘बलम राउर देसवा में चुनरी बिकाय।’’ - चित्त ही चुनरिया हैं। जो चित्त की दैवी प्रवृत्ति भगवान् तक की दूरी तय कराती है, वह सद्गुरु द्वारा प्राप्त होती है। उस चित्त पर प्रभु का रंग चढ ़ता जाता है, प्रभु की आभा उतरने लगती है, चाँद और सूर्य की ज्योति छिप जाती है। यह साधनापरक भजन है।
#Kabir #Mira #Sadhguru
28-1-2017 • 13 minuten, 56 seconden
Sadguru gyan badariya barse
‘‘सद्गुरु ज्ञान बदरिया बरसे।’’ - सद्गुरु का ज्ञान बादल की तरह बरसता है। जिस हृदय में साधन जागृत हैं, जो योग-साधना में प्रवृत्त हैं उनके चिदाकाश में यह ज्ञान सदा बरसता रहता है।
#Kabir #Mira #Sadhguru
28-1-2017 • 19 minuten, 35 seconden
Shabdase priti kare so pave
‘‘शब्द सों प्रीति करे सो पावै।’’ - शब्द परमात्मा से प्रसारित वाणी है, एक दृष्य हैं जो शून्य से भी प्रकट हो सकता है और प्रतीकों के रूप में भी दिखायी दिया करता है। उसे समझना तथा तदनुरूप आचरण करना ही सम्पूर्ण साधना का रहस्य है। भजन की जागृति का स्रोत शब्द है।
#Kabir #Mira #Sadhguru
28-1-2017 • 24 minuten, 17 seconden
Adagad mat hai puronka
‘‘अड़गड़ मत है पूरों का...’’ - साधन पथ दुर्गम हैं, काँटों भरा रास्ता है, तलवार की धार पर चलने जैसा है। इस पर पूर्ण पुरुष ही अग्रसर होते हैं। इस पथ पर कायरों का कोई उपयोग नहीं है। यह सच्चे साधकों के लिए आचार संहिता है ।
#Kabir #Mira #Sadhguru #Swami #Adgadanand
28-1-2017 • 28 minuten, 51 seconden
Bahuri na ahiye shuro ke maidan me
‘‘बहुरि न अइहैं कोई शूरों के मैदान में...’’- दुनिया में झगड़े होते ही रहते हैं किन्तु शाष्वत विजय जीतने वालों को भी नहीं होती, किन्तु योग साधना एक ऐसी लड़ाई है जिसमें शाष्वत विजय है, जिसके पीछे हार नहीं है। वह पुनः लौटकर संसार के आवागमन में नहीं आता।
#Kabir #Mira #Sadhguru
28-1-2017 • 11 minuten, 42 seconden
Chavo chavo re fakir gagan me kuti
‘‘छाओ छाओ हो फकीर गगन में कुटी।’’- आकाश शून्य को कहते हैं। संकल्प-विकल्प से रहित मन शून्य में टिकने की क्षमता पा जाता है, क्रमशः उसके लिए वहाँ रहने की सारी व्यवस्थायें मिलने लगती है। उस आनन्द से वह नीचे उतरता ही नहीं। अंततः आवागमन की फिक्र मिट जाती हैं।
#Kabir #Mira #Sadhguru
28-1-2017 • 42 minuten, 53 seconden
Tavan ghar chetihe re bhai
‘‘तवन घर चेतिहे रे मेरे भाई’’- उस घर में प्रवेश करने की प्रेरणा का भजन है जिसमें प्रवेश के साथ जन्म-मरण का बंधन कट जाता है, लक्ष्मी सेवा करने लगती है। अमृतमय पद प्राप्त हो जाता है। प्राप्ति के पश्चात् मिलने वाली विभूतियो ं का इसमें भली प्रकार चित्रण हैं।
#Kabir #Mira #Sadhguru
28-1-2017 • 33 minuten, 50 seconden
Ka kahi kese kahi ko patiyai
‘‘का कही केसे कही के पतिआई’’- वह परमात्मा कहने में नहीं आता, अनुभवगम्य है। वह परमात्मा एक ऐसा पुष्प हैं जिसका स्पर्श करते ही मनरूपी भ्रमर उसी में विलीन हो जाता है। परमात्मा ही शेष बचता है। प्राप्तिकाल का चित्रण प्रस्तुत भजन में देखें।
#Kabir #Mira #Sadhguru
28-1-2017 • 17 minuten, 15 seconden
Sai ke sang sasur aai
‘‘साईं के रंग सासुर आई’’- पहले साई अर्थात् उस परमात्मा का संग, तत्पश्चात् स्व-स्वरूप में स्थिति मिलती है। साधना कैसे आगे बढ़ी ? कौन से विघ्न आये ? अंत में क्या पाया ? इसका सम्पूर्ण चित्रण इस भजन में प्रस्तुत है।
#Kabir #Mira #Sadhguru
28-1-2017 • 33 minuten, 2 seconden
Bhajan kisaka kaise kare
‘‘भजन किसका, कैसे और क्यों करें ?’’- आज भगवानों की कतार लग गयी है। अतः विचारणीय है कि भजन किसका करें, कैसे करें और क्यों करें ? मनुष्य अपूर्ण है भजन उसे पूर्णत्व प्रदान करता है। भजन एक परमात्मा का ही करना चाहिए। उसकी प्राप्ति के लिए सद्गुरु ही साधना की जागृति, संरक्षण और प्रवश है। प्रवेश के साथ भगवान् ही शेष बचते हैं।
#Shiva #Rama #Sadhguru #Brahma #Krishna #Devi #Hanumana #Ganesha
28-1-2017 • 1 uur, 19 minuten, 14 seconden
Santo jagat nind na kije
‘‘सन्तो, जागत नींद न कीजै।’’- यह साधकों के लिए चेतावनी है। यदि वे भजन में प्रवृत्त हो ही गये हैं तो उन्हें मोहरूपी निद्रा के वशाीभूत नहीं होना चाहिए।
#Kabir #Mira #Sant #Sadhguru
28-1-2017 • 39 minuten, 18 seconden
Man mast hua
‘‘मन मस्त हुआ फिर क्यों डोलें’’- मन के अंतराल में अनुभूति मिलने के साथ ही उसके चलायमान होने का कोई कारण ही शेष नहीं रह जाता। मन तिल जितने सूक्ष्म तल पर टिकने की क्षमता प्राप्त कर लेता है। इस चित्त निरोध के साथ ही प्रभु मिल जाते हैं।
#Kabir #Mira #Sadhguru
28-1-2017 • 25 minuten, 15 seconden
Sone ke thali me
‘‘सोने की थाली में जेंवना परोसे’’- यह लोकगीत भी साधनापरक आशय रखता है। शरीर मिट्टी है जिसमें श्वास ही सोना है। साधक प्रभु के लिए सद्गुणों का संग्रह करता है फिर भी प्रभु दर्शन नहीं देते। इस प्रकार की विरह-व्यथा का स्पन्दन इस गीत में देखें।
#Kabir #Mira #Sadhguru
28-1-2017 • 26 minuten, 54 seconden
Panaghat pe gagariya futal ho
‘‘पनघट पर गगरिया फूटल हो।’’- स ंसार एक समुद्र है। अनन्त योनियाँ अवघट घाट हैं। किसी में पार जाने का उपाय नहीं है। मनुष्य योनि ही उस पार जाने का घाट है, साधन है- इसी आशय का यह भजन है।
#Kabir #Mira #Sadhguru
28-1-2017 • 41 minuten, 32 seconden
Bujho bujho pandit amritwani
‘‘बूझो बूझो पंडित अमरित बानी’’- सन्त कबीर को अनुभव में जो-जो दृश्य आये उन्हीं का संकलन इस पद में है। साधक के समक्ष ऐसे दृश्य आते हैं। एक दिन भक्ति का चरमोत्कृष्ट लक्ष्य परमात्मा की गोद में खेलने लगता है।
#Kabir #Mira #Sadhguru
28-1-2017 • 32 minuten, 5 seconden
Santo bhakti sadguru
‘‘सन्तो ! भगति सद्गुरु आनी।’’- भक्ति पढ़ने-सुनने से नहीं आती, किसी अनुभवी सद्गुरु द्वारा जागृत हो जाया करती है। भक्ति का आरंभ और चरमोत्कृष्ट लक्ष्य इसमें प्रस्तुत है।
#Kabir #Mira #Sadhguru
28-1-2017 • 42 minuten, 47 seconden
Naav bhich nadiya dubi jay
‘‘नाव बीच नदिया डूबी जाय’’- नियम ही नाव है जिसका पालन होने पर भवसरिता सिमटने लगती है। अंततः उसका अस्तित्व ही खो जाता है। संत सुजान हो जाता है। विविध उद्धरणों से साधना के प्रभाव का अंकन इस पद में द्रष्टव्य है।
#Kabir #Mira #Sadhguru
28-1-2017 • 44 minuten, 57 seconden
Dharmik bhranti
‘‘धार्मिक भ्रान्ति’’- संसार में धर्म के नाम पर भ्रान्तियों का बाहुल्य है। इन भ्रान्तियों की पहचान, उनका कारण तथ निवारण आपके धर्मशस्त्र के आलोक में प्रस्तुत है। इस कैसेट में अवश्य देखें।
#Dharma #Scripture #Gita #Sadhguru
28-1-2017 • 54 minuten, 55 seconden
Barah masi
‘‘बारहमासी’’- बारहमासी गुरु महाराज के श्रीमुख से ध्वनित साधनात्मक गायन है। वर्ष के बारह महीनों के माध्यम से जीव की जागृति, साधनात्मक उत्कर्ष विभूतियाँ तथा प्राप्ति के पश्चात् संत के लक्षणों का क्रमबद्ध चित्रण इसमें प्रस्तुत है।
#Sadhguru #Paramhansa #Paramananda
28-1-2017 • 1 uur, 25 minuten, 2 seconden
Dharma ki vyakhya
‘‘धर्म की व्याख्या’’ - कुछ भी कर डालना धर्म नहीं है। एक शास्त्र के अभाव में समाज लड़खड़ा गया है। मनुष्य श्रद्धामय है। श्रद्धावश कुछ न कुछ करता ही रहता है। भ्रान्तियों का निवारण तथा धर्म को परिभाषित करने का प्रयास प्रस्तुत अमृतवाणी में है।
#Gita #Sadhguru #Amritwani #Dharma
28-1-2017 • 1 uur, 22 minuten, 42 seconden
Piya tori uchi re atariya
‘‘पिया तेरी ऊँची रे अँटरिया’’ - प्रभु की अट्टालिका आकाशवत् है, प्रकृति से अतीत। नाम की डोर से समीप पहुँचने पर चाँद और सूर्य जैसे दीपक पथ में प्रलोभन देकर उलझा लेते हैं। उन्हें पार करने पर दसवें द्वार ब्रह्मरन्ध्र में सुरत स्थिर होते ही स्थिति मिल जाती है और इन सब का सारा श्रेय सद्गुरु को जाता है।
#Kabir #Mira #Sadhguru
28-1-2017 • 48 minuten, 41 seconden
Daga hoiga balam
‘‘दगा होइगा बालम।’’ - अन्नमय, प्राणमय, मनोमय, विज्ञानमय तथा आनन्दमय क्रमोन्नत इस पंचकोशों से संयुक्त सुरत शून्य परमात्मा में लगकर झूलने लगती है जो भक्ति का आभूषण है। साधक इस अवस्था को खोना नहीं चाहता किन्तु कभी धोखा हो जाता है, झुलनी टूट जाती है; किन्तु साधक को कभी हताश नहीं होना चाहिए।
#Kabir #Mira #Sadhguru
28-1-2017 • 37 minuten, 26 seconden
Chunar me dag kahase lagal
‘‘चूनर में दाग कहाँ से लागल’’- साधना की परिपक्व अवस्था! एक भी विजातीय संकल्प नहीं ! नियम पूर्ण ! बहिर्मुखी प्रवाह निरुद्ध ! ऐसे संयत चित्त में दाग कहाँ से आ गया ? यह संस्कार है। पूर्व में अर्जित आपका ही कर्म ! वह अवश्यम्भावी है किन्तु वह भी जाने के लिए ही है। सचेतावस्था में श्वसन क्रिया का अभ्यास करने से वह भी शान्त हो जाता है।
#Kabir #Mira #Sadhguru
28-1-2017 • 32 minuten, 41 seconden
Ganth padi piya bole na humse
‘‘गाँठ पड़ी पिया बोलें न हमसे’’- ईशवर-पथ भगवान् के द्वारा संचालित होता है। साधक को वे ही बताते हैं, समझाते हैं, उठाते-बैठाते सब कुछ करते हैं। कदाचित् भूल हो जाती है तो वे बोलना, बताना बन्द कर देते हैं। साधक पश्चाताप करता है, प्रभु पुनः मुस्कराने लगते हैं, प्रसन्न हो जाते हैं।
#Kabir #Mira #Sadhguru
28-1-2017 • 56 minuten, 42 seconden
Daan
‘‘दान’’- दान परमात्मा की ओर है। जितना दान दिया जाता है उतना संसार आप त्याग रहे हैं। दान के उत्कर्ष में व्यक्ति शनैः-शनैः तन, मन, धन और अपने आपको भी अर्पित कर देता है और बदले में अपने ही स्वरूप को प्राप्त कर लेता है।
#Sadhguru #God #Ishwar #Paramatma
28-1-2017 • 48 minuten, 21 seconden
Na tasabi kam aayega
‘‘न तसबी काम आयेगी’’- संसार में भूले हुए लोगों को सचेत करते हुए संतों ने बताया कि आपके काम क्या आयेगा ? राहे हक़ में जो दिया जाता है वही आपका है, शेष सब यहीं छूट जाना ह ै। परमात्मा की राह में जो संकल्प किया गया, जो श्वास सुमिरन में गयी, जो ग्रास अर्पित किया गया वही आपके काम आयेगा अन्यथा न फौजें साथ देगी, न रिसाला काम आयेगा।
#Kabir #Mira #Sadhguru #Saint
28-1-2017 • 36 minuten, 28 seconden
Mai pikeche baurai gava
‘‘मय पीकर जे बउरा गया...’’ - भजन एक नशा है, एक खुमारी है। भजन में बेसुध दीवानों से न पूछें कि उन्होंने क्या देख लिया ? चराचर जगत् में जहाँ भी उनकी दृष्टि पड़ती है, उन सबमें वह अपने आराध्य (भगवान्) का उत्सव ही देखता है। मय पीने वाले कौन-कौन थे, उनके समक्ष कितने सांसारिक व्यवधान आये, भगवान् ने कैसे सहायता की ? साधकों के लिए प्रेरक भजन!
#Kabir #Mira #Sadhguru
28-1-2017 • 1 uur, 28 minuten, 17 seconden
Varna vyavastha
‘‘वर्ण-व्यवस्था’’- वर्ण के नाम पर आज समाज में असमानता, ऊँच-नीच, बिखराव, घृणा, भेदभाव प्रचलन में है जबकि गीता के अनुसार एक परमात्मा ही सत्य है। उसे प्राप्त करने की नियत विधि यज्ञ है। उस यज्ञ को चरितार्थ करना कर्म है। इस एक ही कर्मपथ को चार श्रेणियों में बाँटा गया है जिसे वर्ण कहते हैं। यह साधना का बँटवारा है न कि मनुष्य का ! एक ही साधक की नीची-ऊँची अवस्था है।
#Gita #Varna #Caste #Casteism
28-1-2017 • 59 minuten, 57 seconden
Duniya jise kahate hai
‘‘दुनिया जिसे कहते हैं जादू का खिलौना है।’’- विश्वभर का भौतिक ऐष्वर्य मिल भी जाय तो मिट्टी है, कदाचित् दुनिया खो जाय तो सोना है। दुनिया खो जाने पर परमात्मा ही शेष बच रहता है। वह कैसे खोवे ? स्थिति कैसे मिले ? उसके लिए हमारा रहन-सहन कैसा हो ? इसी का चित्रण इस भजन में है।
#Kabir #Mira #Sadhguru
28-1-2017 • 32 minuten, 37 seconden
Tu dero haram ka malik hai
‘‘तू दैरो हरम का मालिक है।’’- यह एक विरही भक्त की अन्तःवेदना है। वह प्रभु से सहायता की याचना करता है। अन्ततः कहता है कि मैं व्यर्थ ही आपसे अनुनय-विनय करता रहा वस्तुतः आपकी महिमा तो हम लोगों द्वारा ही समाज को देखने में आती है। यहाँ भक्त और भगवान् का सख्यभाव है।
#Kabir #Mira #Sadhguru
28-1-2017 • 18 minuten, 20 seconden
Chadariya zini zini
‘‘चदरिया झीनी झीनी बीनी।’’- चित्त ही चदरिया है। स्थूल संसार के कण-कण में सूक्ष्म ब्रह्म व्याप्त है। उसी ब्रह्म के रंग में राम-नामरू पी धागों से चादर बनायी गयी है। सुर, नर, मुनि स्तर तक माया पीछा करती है। चादर मैली हो जाती है। दास कबीर ने युक्ति के साथ इसे ओढ़ी और ज्यों की त्यों इसे रख दी। यही मुक्ति है।
#Kabir #Mira #Sadhguru
28-1-2017 • 41 minuten, 13 seconden
Karma ki rekha
‘‘करमाँ री रेखा न्यारी न्यारी’’- कर्म भाग्य का नियामक है। कर्मानुसार अदृश्य भाग्य रेखायें प्रत्येक व्यक्ति को भिन्न-भिन्न दिशओं में ले जाती हैं। एक ही माँ का एक पुत्र राजा तो दूसरा रंक हो सकता है। माता मीरा ने भाग्य की प्रबलता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि परिस्थितियों के लिए माता-पिता को दोष नहीं देना चाहिए।
#Kabir #Mira #Sadhguru #Karma
28-1-2017 • 37 minuten, 21 seconden
Thaganiya kya naina
‘‘ठगनियां क्या नैना झमकावै।’’- संत कबीर ने माया को ठगने वाली कहकर सम्बोधित किया है। यह कब सफल होती है- इसका ज्ञान साधक को तब होता है जब वह पतित हो जाता है। किन्तु साधन के उन्नत होने पर एक स्तर ऐसा आता है कि साधक माया की चाल पहले ही समझकर सतर्क हो जाता है। माया की छाया से पृथक् रहने की पदार्थ भावनी अवस्था का चित्रण इस पद में है।
#Kabir #Mira #Sadhguru
28-1-2017 • 1 uur, 36 seconden
Aisa gyan na dekha
‘‘अवधू ! ऐसा ज्ञान न देखा।’’- भक्ति-पथ का ज्ञान बहुत पढ़ने-लिखने या दुनिया देखने से नहीं आता। यह ऐसा ज्ञान है जो योग-साधना से चिंतन में डूबने से अनुभव में घटित होता है। ईश्वरीय आलोक में क्या घटित होता है, उसी का चित्रण है।
#Kabir #Mira #Sadhguru
28-1-2017 • 47 minuten, 44 seconden
Saiya nikas gaye
‘‘सैयाँ निकसि गये मैं ना लड़ी’’- भजन की जागृति से प्राप्ति तक परमात्मा मार्गदर्शन करते रहते हैं किन्तु पूर्तिकाल में एक ऐसी अवस्था आती है कि वे बातें करना बन्द कर देते हैं। आगे कोई श्रेष्ठ सत्ता शेष ही नहीं तो बतायें भी क्या ? साधक को ग्लानि होती है कि हमने तो भूल भी नहीं की। प्रभु का साहचर्य क्यों खो गया ? यह प्राप्तिकाल का चित्रण है।
#Kabir #Mira #Sadhguru
28-1-2017 • 39 minuten, 41 seconden
Jado na maro sari raat
‘‘जाड़न मरो सारी रात रे हम झिनवा ओढि़न’’- संसार में आवश्यकताओं की शीत लहरियाँ अनवरत चलती रहती हैं। एक इच्छा की पूर्ति हुई तो दस आकांक्षाएँ बेचैन क र देती है। लोग उसकी पूर्ति में आये दिन मरते खपते हैं किन्तु हमने तो सूक्ष्म ब्रह्म चदरिया का आश्रय ले लिया है। योग में मिलने वाली अनुभूतियों का चित्रण प्रस्तुत पद में है।
#Kabir #Mira #Sadhguru
28-1-2017 • 1 uur, 5 minuten, 8 seconden
Tum chalo divane des
‘‘तुम चलो दीवाने देश’’- उस देश में चलने का आह्वान है जहाँ के विरह में डूबे हुए दीवाने, जैसे मीरा, जड़ भरत या मंसूर जैसे लोग रहते हैं। वहाँ अलख परमात्मा से आप मिलेंगे। दीवानों के क्या लक्षण है ? इस पद में देखें।
#Kabir #Mira #Sadhguru
28-1-2017 • 44 minuten, 47 seconden
Pivat naam ras pyala
‘‘पिवत नाम रस प्याला, मन मोर भयो मतवाला।’’- राम नाम का प्याला पीने से मन मतवाला हो जाता है। उस प्याले का उतार-चढ़ाव श्वास-प्रश्वास पर है। नाम जपने की समग्र विधि पर इसमें प्रकाश डाला गया है। इस नाम की जागृति सद्गुरु से हैं।
#Kabir #Mira #Sadhguru #Rama
28-1-2017 • 44 minuten, 1 seconde
Naam roop
‘‘नाम, रूप, लीला, धाम....’’- ईश्वर-पथ की चार भूमिकाएँ नाम, रूप, लीला और धाम हैं। नाम जप, स्वरूप का ध्यान, लीला अर्थात् प्रभु से मिलने वाला आदेश तथा लील ा देखते हुए उस केन्द्र में स्थिति, जहाँ से प्रभु अपनी वाणी का प्रसार करते हैं उस धाम का स्पर्श, सम्पूर्ण साधना का संक्षिप्त चित्रण प्रस्तुत पद में द्रष्टव्य है।
#Sadhguru #God #Ishwar #Atman #Paramatma
28-1-2017 • 59 minuten, 43 seconden
Geeta saransh
‘‘गीता सारांश’’- इसमें आप इतना समझ लेंगे कि मूलतः गीता का सारांश क्या है।
#Krishna #Sadhguru #Bhagavadgita #Gita #Karma
28-1-2017 • 1 uur, 16 minuten, 5 seconden
Jiv ka uddhar
‘‘जीव का उद्धार कैसे हो’’ – यह जीव जन्म जन्मान्तरों से शरीरों की यात्रा करता चला आ रहा है | एक परमात्मा में समर्पण, साधन करने से ही जीव का उद्धार संभव है |
#Sadhguru #Happiness #Peace
28-1-2017 • 42 minuten, 2 seconden
Murti pooja
‘‘मूर्ति-पूजा’’- मूर्तिपूजा का क्या औचित्य है ? यह कहाँ तक साथ देती है ? प्रस्तुत है इसे स्पष्ट करने का प्रयास ।
#Murti #Puja #Sadhguru #Devi #Devta
28-1-2017 • 41 minuten, 58 seconden
Manas me nari
“मानस मैं नारी”- नारियों के प्रति विश्व में कभी मान तो कभी अपमान होता आया है; किन्तु भारतीय मनीषियों की दृष्टि में नारी का वही स्थान है जो पुरुष का रहा है। नारी की गरिमा, नारी की महिमा प्रस्तुत कैसेट में द्रष्टव्य है ।
#Sadhguru #Ramcharitmanas
28-1-2017 • 1 uur, 29 minuten, 38 seconden
Santo yah murdoka gav
‘‘सन्तो ! यह मुर्दों का गाँव।’’- वैदिक महर्षियों ने संसार को मृत्युलोक कहा था। संत कबीर कहते हैं- लोक तो बड़ा शब्द है। संसार तो मुर्दों का एक गाँव मात्र हैं। क्योंकि ब्रह्माण्ड अनन्त है। संसार एक ऐसी लता है जो आगे कोपल फैंकता रहता है और पीछे से सूखता जाता है। इन मुर्दों में भजन किसका करें जिनका अस्तित्व नहीं है ? भजन तो एक परमात्मा का ही करना चाहिए।
#Kabir #Mira #Sadhguru
28-1-2017 • 1 uur, 20 minuten, 4 seconden
Gaiya ek
‘‘गइया एक विरंचि दियो है’’- गाय को लेकर भारत में आन्दोलन होते रहते हैं किन्तु आध्यात्मिक शास्त्रों में गाय मनसहित इन्द्रियों का सम्बोधन है। इन इन्द्रियों की प्रबलता, इनका उद्दीपन, इन पर विजय का चित्रण इस भजन में प्रस्तुत है।
#Sadhguru #Mind #Senses
28-1-2017 • 1 uur, 6 minuten, 29 seconden
Swarth
‘‘स्वार्थ’’- समाज में स्वार्थ गर्हित है किन्तु स्वार्थ का विशुद्ध अर्थ स्वयं का अर्थ अर्थात् स्व-स्वरूप की जागृति तथा उसकी उपलब्धि है।
#Kabir #Mira #Sadhguru
28-1-2017 • 1 uur, 7 minuten, 5 seconden
Shankar ka swarup
‘‘शंकर का स्वरूप’’- शंकर आदि सद्गुरु हैं। वे गुरु क्यों और कैसे हैं- देखें। शिव तत्त्व प्रत्येक जीव में विद्यमान हैं। एक परमात्मा का चिंतन उन्नत होने पर ‘‘शंका अरिः स शंकर’’ शंकाओं से परे शिवतत्व में स्थिति मिल जाती है। यही गुरु का भी स्वरूप हैं।
#Sadhguru #Shiva #Shankar
28-1-2017 • 1 uur, 17 minuten, 49 seconden
Vishvakarma
‘‘विश्वकर्माः’’- गीता में भगवान् कहते हैं- मेरे तेज के अंश मात्र से सृष्टि का सृजन, पालन और परिवर्तन होता ही रहता है, अतः विश्वकर्मा नाम का अलग से कोई भगवान नहीं है। भगवान ही विश्वकर्मा हैं।
#Sadhguru #Vishwakarma #Puja
28-1-2017 • 1 uur, 6 minuten, 25 seconden
Saraswati
‘‘सरस्वती’’- ‘स’ अर्थात् वह परमात्मा! उसके रस में सराबोर करने वाली जागृति सरस्वती है, जो परमात्मा से संचालित है। यदि वे संचालन नहीं करते तो अलग से सरस्वती नाम की कोई शक्ति नहीं है।
#Sadhguru #Saraswati #Puja
28-1-2017 • 1 uur, 19 minuten, 45 seconden
Kundalini
‘‘कुंडलिनी’’- योग-पथ की क्रमोन्नत सात भूमिकायें हैं। एक भूमिका से दूसरी अवस्था का सन्तरण कुंडलिनी जागृति है जिसकी अंतिम श्रेणी पार कर लेने पर स्थिति है, जहाँ जन्म-मृत्यु का क्रम समाप्त हो जाता है। यह सद्गुरु प्रदत्त साधना का नामान्तर मात्र हैं।
#Sadhguru #Kundalini #Yoga
28-1-2017 • 1 uur, 18 minuten, 46 seconden
Daras diwana bavla
‘‘दरस दिवाना बावला’’- प्रस्तुत पद में भजन में निमग्न अवधूत के लक्षणों पर प्रकाश डाला गया है। एकांत सेवन, एक परमात्मा में लव लगाकर रहना, सद्गुरु की प्राप्ति से विघ्नों का अंत भजनानन्दियों का मार्गदर्शक भजन है।
#Kabir #Mira #Sadhguru
28-1-2017 • 1 uur, 4 minuten, 33 seconden
Santo sahaj samadhi bhali
‘‘संतो ! सहज समाधि भली’’- परमतत्त्व परमात्मा सदैव एकरस, सहज है। उसके साथ समत्व प्राप्त होने पर योगी का भजन कैसा होता है ? उसकी रहनी कैसी होती है ? उसकी श्वास सदा भजनमय ही रहती है।
#Kabir #Mira #Sadhguru #Samadhi
28-1-2017 • 1 uur, 10 minuten, 14 seconden
Dharmacharan
‘‘धर्माचरण: विचार या विश्वास ?’’- यह एक भक्त के प्रश्न का उत्तर है कि धर्माचरण विचार से होता है या विश्वास से ? भगवान से कुछ परिचय मिलने पर ही विश्वास पुष्ट होता है। बिना प्रमाण के विश्वास होता भी नहीं। कदाचित् है तो अंधविश्वास है।
#Kabir #Mira #Sadhguru #Dharma
28-1-2017 • 56 minuten, 49 seconden
Ghungat ke pat khol
‘‘घूँघट के पट खोल’’- अंतःकरण के छल-कपट को घूँघट की संज्ञा दी गयी है। कपट का आवरण दूर करते ही प्रियतम परमात्मा के मिलन का विधान है। भक्ति का दीप जला कर आसन को अचल कर लें, आपके प्रियतम मिलेंगे।
#Kabir #Mira #Sadhguru
28-1-2017 • 1 uur, 20 minuten, 39 seconden
Avatar
‘‘अवतार’’- अवतार के विषय में संसार में विलक्षण भ्रान्तियाँ है। वस्तुतः अवतार योगी के हृदय में होता है। जिस परमात्मा की हमें चाह है, जिस सतह पर हम हैं, प्रभु का उसी सतह पर उतर आना और आत्मा से अभिग्न होकर मार्गदर्शन करना अवतार की निम्नतम जागृति है। शनैः-शनैः परमात्मामय वातावरण का छा जाना अवतार की पराकाष्ठा है।
#Kabir #Mira #Sadhguru #Avatar
28-1-2017 • 1 uur, 12 minuten, 51 seconden
Dhyan
‘‘ध्यान’’- जहाँ चित्त को लगाया जाय, उसी में वृत्ति का एकतार चलना ध्यान है। ध्यान किसका करें ? कैसे करें ? इन बिन्दुओं पर प्रकाश डाला गया है। नाम, रूप और ब्रह्मविद्या ध्यान के संवाहक हैं।
#Meditation #Yoga #Dhyan
28-1-2017 • 1 uur, 53 minuten, 28 seconden
Aalam hai udasi ka
‘‘आलम है उदासी का’’- यह साधनापरक गजल मिश्रित कव्वाली है। साधना के आरम्भ में ही प्रभु एक झलक दिखा कर चले जाते हैं। तभी तो उन्हें प्राप्त करने की व्याकुलता बढ़ जाती है और साधक प्राप्त करके ही दम लेता है।
#Kabir #Mira #Sadhguru
28-1-2017 • 1 uur, 4 minuten, 52 seconden
Dhobiya jal bich
‘‘धोबिया जल बिच मरत पियासा’’- यहाँ संत कबीर ने साधक को धोबी की संज्ञा दी, जो अपने जन्म-जन्मांतरों के दागों की धुलाई स्वयं करने में समर्थ है। ब्रह्म उसी के हृदय में है। भक्तिरूपी जल भी उसके हृदय में है। जल के बीच में भी वह प्यासा है। उसकी विधि संतों के पास है। विषयोन्मुख मन को वे प्रभु की ओर उन्मुख कर देते हैं।
#Kabir #Mira #Sadhguru
28-1-2017 • 1 uur, 12 minuten, 52 seconden
Bandagi ho us shan
‘‘बन्दगी हो तो उस शान की’’- पूजन का अर्थ आँख मूँदना नहीं। वंदन उस ऊँचाई का हो कि ज्यों-ज्यों शिर झुके प्रभु की अनुकम्पा उतरती जाय, परिस्थितियों में सुधार होता जाय, ईश्वरीय आलोक में साधक अग्रसर होता रहे।
#Kabir #Mira #Sadhguru
28-1-2017 • 58 minuten, 57 seconden
Pani bicha min pyasi
‘‘पानी बिच मीन पियासी’’- पूर्व महर्षियों ने ईश्वर को हृदय-देश में प्राप् त किया। उसी ब्रह्मामृत के मध्य रहकर भी आप प्यासे हैं। क्या करें कि वह मिल जाय-वह विधि इसमें प्रस्तुत है।
#Kabir #Mira #Sadhguru
28-1-2017 • 51 minuten, 51 seconden
Sasurase gauna ulat chala re
‘‘ससुरा से गवना उलटि चल्यो नैहरवाँ’’- संसार में पड़ा जीव परमात्मा में लव लगाकर अपने स्वरूप नैहर (उद्गम) की ओर चला गया। दृष्टांतों के द्वारा संत कबीर ने जीवात्मा और परमात्मा के मिलन का चित्रण किया है।
#Kabir #Mira #Sadhguru
28-1-2017 • 42 minuten, 47 seconden
Ras gagan gufa mein
‘‘रस गगन गुफा में अजर झरै।’’- आरंभिक अवस्था के साधक को भजन में आनन्द नहीं मिलता। किन्तु एक ऐसा स्तर आता है ‘गगन गुफा’, उसमें प्रवेश के साथ ही ‘रस अजर झरे’ जिसका नाम ब्रह्मानन्द है वह अजस्र बहता ही रहता है, ईश्वरीय ध्वनि सुनाई देने लगती है, ईश्वरीय दृष्टिगोचर होने लगता है।
#Kabir #Mira #Sadhguru
28-1-2017 • 39 minuten, 36 seconden
Pranayam
‘‘योगशास्त्रीय प्राणायाम’’- मन, बुद्धि, चित्त और अहंकार-चतुष्टय अन्तःकरण प्राण कहे जाते हैं। इनके क्रिया-कलाप पर विराम लग जाना प्राणायाम है। मन में न कोई संकल्प उठे औ र बाह्य वायुमण्डल के संकल्प अन्तःकरण में प्रवेश न कर पायें, इस स्थिति का चित्रण प्राणायाम है।
#Meditation #Yoga #Pranayam #Mind
28-1-2017 • 54 minuten, 9 seconden
Ab hum dono kul ujayari
‘‘अब हम दोनों कुल उजियारी’’- ईश्वर-पथ पर कोई निर्गुण उपासक है तो कोई सगुण। कबीर कहते हैं कि अब ऐसी स्थिति आ गयी है कि दोनों कुल अर्थात् सगुण भगवान और निर्गुण ब्रह्म दोनों ही मुझमें प्रकाशित है। दोनों साधना एक ही हैं, अन्त में दोनों एक ही तत्व में विलीन हो जाती हैं।
#Kabir #Mira #Sadhguru
28-1-2017 • 1 uur, 1 minuut, 37 seconden
Aneko prshna aise hai
‘‘अनेकों प्रश्न ऐसे हैं जो दुहराये नहीं जाते’’- ईश्वरीय पथ में साधन जागृत हो गया, बीजारोपण हो गया तो बीज का नाश नहीं होता, यह दुहराया नहीं जाता। इसी प्रकार बहुत से उत्तर भी ऐसे हैं जो बतलाये नहीं जाते, अनुभवगम्य हैं। वाणी से सब कुछ कह देने पर भी साधना जागृत होने पर ही समझ में आती है।
#Kabir #Mira #Sadhguru
28-1-2017 • 48 minuten, 50 seconden
Todana tute hua dilko
‘‘तोड़ना टूटे हुए दिल को बुरा होता है’’- मग्न हृदय लोगों को ठेस नहीं पहुँचाना चाहिए। परिस्थिति बदलते देर नहीं लगती अतः हताश नहीं होना चाहिए। इस संसार में जिसका कोई नहीं होता उसका रक्षक परमात्मा स्वयं हुआ करता है।
#Kabir #Mira #Sadhguru
28-1-2017 • 55 minuten
Siddha hai koi atit
‘‘सिद्ध है सोई अतीत कहावै।’’- इस भजन में सिद्ध के लक्षण, गुणातीत के लक्षण, संन्यास की स्थिति, परमहंस के लक्षण विजयाहवन इत्यादि का स्पष्टीकरण के साथ महापुरुष की रहनी का चित्रण है। सन्तों के लिये उपयोगी दिशा-निर्देश है।
#Kabir #Mira #Sadhguru
28-1-2017 • 1 uur, 6 minuten, 23 seconden
Payoji maine ram ratan dhan payo
‘‘पायो जी मैंने नाम रतन धन पायो।’’- परमात्मा के अनन्त नाम हैं, सभी एक-दूसरे से बढ़-चढ़कर हैं, किन्तु वास्तविक नाम एक जागृति है जो सद्गुरु द्वारा प्राप्त होती है। इसी संदर्भ में माता मीरा का यह भजन है। नाम को लेकर अनेकानेक उलझे प्रश्नों का समाधान प्रस्तुत कैसेट है।
#Kabir #Mira #Sadhguru #Rama
28-1-2017 • 50 minuten, 38 seconden
Ram kahat chal
‘‘राम कहत चल, राम कहत चल भाई रे।’’- संसार में हर कार्य करते समय नाम का स्मरण करते चलो अन्यथा आवागमन के चक्कर में पड़ जाओगे। छूटने में अत्यन् त कठिनाई का सामना करना पड़ेगा। नाम जपने के लिए कोई जगह अपवित्र नहीं होती। हृदय में श्रद्धा नहीं एक परमात्मा के प्रति तथा स्मरण में नाम नहीं तो सभी मानव का स्थान अपवित्र है।
#Kabir #Mira #Sadhguru #Rama
28-1-2017 • 52 minuten, 33 seconden
Sadguru ki hat
‘‘सद्गुरु की हाट’’ – सद्गुरु की हाट सांसारिक भीड़-भाड़ से अलग एकांत जंगल में हुआ करती है, जहाँ जन्म-जन्म के साधनारत पथिक आत्मिक सम्पति का सौदा करते हैं |
#Kabir #Mira #Sadhguru
28-1-2017 • 33 minuten, 24 seconden
Koi apane me dekha
‘‘कोई अपने में देखा’’ – त्रिगुणातीत संत के चरण कमलों को हृदय में देखने से भजन जागृत हो जाता है | भगवान उतना ही बतातें जाते है जितना साधक की क्षमता है |
#Kabir #Mira #Sadhguru
28-1-2017 • 36 minuten, 24 seconden
Guru mantra
‘‘गुरु मंत्र’’ – मंत्र न लिखने में आता है न कहने में, बल्कि अनुभवी सद्गुरु द्वारा विरही साधक के ह्रदय में जागृत हो जाता है |
#Kabir #Mira #Sadhguru #Mantra
28-1-2017 • 56 minuten, 32 seconden
Ek hi dharma ek hi vrat nema
‘‘एक ही धर्म’’ – सृष्टि में एक ही धर्म है - मन क्रम वचन से पत रखने वाले एक परमात्मा के, उन परम प्रभु के चरणों में अनुरक्ति |
#Kabir #Mira #Sadhguru #Dharma #Religion
28-1-2017 • 45 minuten, 11 seconden
Dharma ki pahali sidi
‘‘धर्म की पहली सीढ़ी’’ – धर्म का आरंभ संतो के संग से है तभी सत्संग होता है, धर्म का प्रवेश द्वार यही है |
#Kabir #Mira #Sadhguru #Dharma
28-1-2017 • 48 minuten, 13 seconden
Pyas bujhaye bin pani
‘‘प्यास बुझाबै बिन पानी’’ – शरीर की प्यास तो जल से बुझ जाती है किन्तु आत्मा की प्यास जब तक विषय रूपी वारि है नहीं मिटेगी या ब्रह्म पियूष अप्राप्त है तब भी नहीं मिटेगी | कोई सद्गुरु ही इस प्यास को मिटा सकने में सक्षम है |
#Kabir #Mira #Sadhguru
28-1-2017 • 51 minuten, 42 seconden
Mandir diyana bar
‘‘मंदिर दियना बार’’ – भगवान के लिये विरह वैराग्य और तड़प पैदा हो गयी तो विरहिन को, नाम दीप आलोकित करना चाहिए क्रमश: यह भक्ति मणि के रूप में ढलता जायगा |
#Kabir #Mira #Sadhguru
28-1-2017 • 1 uur, 23 minuten, 43 seconden
Darbar me sacche sadguru ke
‘‘दरबार मे सच्चे सद्गुरु के’’ – सद्गुरु के चरणों का आश्रय लेने वाला सभी चिंताओं से मुक्त हो जाता है, उसकी जिम्मेदारी प्रभु ले लेते हैं |
#Kabir #Mira #Sadhguru
28-1-2017 • 51 minuten, 44 seconden
Kabira kabse bhaya bairagi
‘‘कबिरा कबसे भया बैरागी’’ – सांसारिक से लेकर स्वर्ग तक के प्रलोभनों तथा उन वस्तुओं में आसक्ति का भान न हो तभी सच्चा वैराग्य है | संस्कारों के उन्मूलन तथा प्रभु की प्राप्ति ही योग की पूर्णता है |
#Kabir #Mira #Sadhguru
28-1-2017 • 1 uur, 3 minuten, 54 seconden
Dashahara + Navaratri
‘‘दशहरा + नवरात्री’’ – दसों इन्द्रियों से वासनाओं का उन्मूलन दशहरा है | इससे जगत रूपी रात्रि का अवसान और राम राज्य का प्रचंड सूर्योदय हो जाता है |
#Kabir #Mira #Sadhguru
28-1-2017 • 39 minuten, 21 seconden
Guru aisa mara baan
‘‘गुरु ऐसा मारा बाण’’ – सद्गुरु के उपदेश हृदय में चुभ जाते हैं जिनसे जनम मृत्यु के कारणों का अंत कराने वाला साधक जागृत हो जाता है |
#Kabir #Mira #Sadhguru
28-1-2017 • 50 minuten, 16 seconden
Khayale rind mastana
‘‘खयाले रिंद मस्ताना’’ – सद्गुरु का चिंतन साधक को सदैव मस्ती में डुबाये रखता है | इसके पश्चात भगवान ही साधक को उठाते बैठाते चलाते है |
#Kabir #Mira #Sadhguru
28-1-2017 • 44 minuten, 10 seconden
Balihari aise sadguru ki
‘‘बलिहारी ऐसे सद्गुरु की’’ – कर्मों से मुक्ति दिलाने वाले सद्गुरु के प्रति आभार प्रदर्शक भजन है |
#Kabir #Mira #Sadhguru
28-1-2017 • 20 minuten, 24 seconden
Umar sab dhokhe mein
‘‘उमर सब धोखे में’’ – जिस कमी की पूर्ति के लिये मानव शरीर मिला उस भजन को न कर जीवन पर्यंत हमने जिनका संग्रह किया धोखा ही निकला |
#Kabir #Mira #Sadhguru
28-1-2017 • 1 uur, 2 minuten, 30 seconden
Sai tera bhed na jane koi
‘‘साई तेरा भेद ना जाने कोई’’ – बाह्य शरीर की धुलाई से अंतर के मैल नही जाते जिनके रहते परमात्मा का दर्शन नहीं हो पाता | भजन में एक दिन की भी कमी एक जनम का कारण होती है इसलिये भजन में लापरवाही नहीं करनी चाहिये |
#Kabir #Mira #Sadhguru
28-1-2017 • 39 minuten, 23 seconden
Avadgu jivat hi kare aasa
‘‘अवधू जीवत ही कर आसा’’ – जीते जी ही भजन संभव है मरने के पश्चात भजन नहीं होता | जिसने भी पाया जीते जी पाया है |
#Kabir #Mira #Sadhguru
28-1-2017 • 25 minuten, 59 seconden
Sunata hai guru gyani
‘‘सुनता है गुरु ग्यानी’’ – चित आकाशवत होने पर ईश्वरीय शब्द सुनायी पड़ता है जिससे माया का आवरण हल्का होता जाता है |
#Kabir #Mira #Sadhguru